प्रस्तुत पोस्टमध्ये गणेश चतुर्थी निमित्त विविध आरती संग्रह संकलित केलेला आहे.
देवीची आरती | दुर्गे दुर्घट भारी | आरती संग्रह
देवीची आरती | दुर्गे दुर्घट भारी | आरती संग्रह
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी ।
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ॥
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी ।
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥ १ ॥
जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ ॥
त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही ।
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ॥
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही ।
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥ २ ॥
प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां ।
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ॥
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा ।
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥ ३ ॥
देवीची आरती | दुर्गे दुर्घट भारी | आरती संग्रह | Durghe Durghat Bhari
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